latest सुहाग गीत🎉सोलह श्रृंगार मां कबहूं न छूटे चुनरी उड़ी रहे साथ बना रहे अर्ज मेरी विनती🤩

 

हे गौरी मैया सुहाग वर दे दो जोड़ी बनी रहे जोड़ी बनी रहे है अरज मेरी विनती मेरी...... 

माथे की बिंदिया मैया कबहूं न छूटे , मांग भरी रहे टीका लगा रहे है अरज मेरी विनती मेरी...... 

हाथों की मेहंदी मैया कबहूं न छूटे , चूड़ी बनी रहें कंगना सजे रहें है अरज मेरी विनती मेरी...... 

पैरों की महावर मैया कबहूं न छूटे , बिछुवा बने रहें पायल सजी रहे है अरज मेरी विनती मेरी..... 

सोलह सिंगार मैया कबहूं न छूटे , चुनरी उड़ी रहे साथ बना रहे है अरज मेरी विनती मेरी..... 

 


 

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