हे गौरी मैया सुहाग वर दे दो जोड़ी बनी रहे जोड़ी बनी रहे है अरज मेरी विनती मेरी......
माथे की बिंदिया मैया कबहूं न छूटे , मांग भरी रहे टीका लगा रहे है अरज मेरी विनती मेरी......
हाथों की मेहंदी मैया कबहूं न छूटे , चूड़ी बनी रहें कंगना सजे रहें है अरज मेरी विनती मेरी......
पैरों की महावर मैया कबहूं न छूटे , बिछुवा बने रहें पायल सजी रहे है अरज मेरी विनती मेरी.....
सोलह सिंगार मैया कबहूं न छूटे , चुनरी उड़ी रहे साथ बना रहे है अरज मेरी विनती मेरी.....
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