बन गए बन गए रे भतइया घनश्याम पटा पे ठाढ़े बनवारी....
पास पड़ोसन देवरानी जेठानी क्यों ना जल्दी बुलाती है , बेटी दुनिया में करेंगे तेरो नाम पटा पे ठाढ़े बनवारी बन गए बन गए रे....
गौरा और गणपति को हरि ने आपने भात पहनायो है , जाकी जैसी बनी भावना तैसो ताय कहायो है , हरि ने रामा को भरो है भात पटा पे ठाढ़े बनवारी बन गए बन गए रे....
सबके पीछे भात श्याम ने रामा को पहनायो है ,सिर से लेकर पैरों तक अब सब जेवर पहनायो है , हरि ने रामा को बढ़ायो है मान पटा पे ठाढ़े बनवारी बन गए बन गए रे....
ऐसो भात देखके सब कोई चकित भये नर नारी , बरन न जाये मंडप की छाई है शोभा न्यारी , वर्षा फूलन की करी है घनश्याम पटा पे ठाढ़े बनवारी...
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