राम नाम की फेरूं माला हरि नाम का डंका जी बैकुंठ की टिकट कटावां मैं काय देखन आवां जी
बेटा तो हमारा घना लाड़ला जीते पानी न पूछे जी , मरवा पीछे फोटो टांगे मैं काय देखन आवां जी...
बहू तो हमारी घनी लाड़ली कबहूं ना थाल परोसा जी , मरवा पीछे पंडित जिमावे मैं काय देखन आवां जी....
बेटी तो हमारी घनी लाड़ली कभी ना मिलने आवे जी , मरवा पीछे आंसू बहावे मैं काय देखन आवां जी...
पति तो हमारा घना लाड़ला कभी ना हंस के बोले जी , मरवा पीछे रोवे बैठे मैं काय देखन आवां जी...
सहेली तो हमारी घनी लाड़ली हंस हंस भजन सुनावे जी , कीर्तन में वो रोज आवें मैं काय देखन आवां जी...
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