शिव की पुजारिन बन गई रे एक छोटी सी कन्या
रोज सबेरे गंगा जी जाये लोटे में गंगा जल भर लाये प्रेम से शिव को नहलाय रही रे एक छोटी सी कन्या
रोज सबेरे बागों में जाये फूल तोड़ एक माला बनाये प्रेम से शिव को पहनाय रही रे एक छोटी सी कन्या
रोज सबेरे जंगल में जाये भंगिया तोड़ के घोटा बनाये प्रेम से शिव को पिलाय रही रे एक छोटी सी कन्या
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