तेरा नगरकोट घनघोर घनघोर पीपल में भवानी झूल रहीं.....
तेरे माथे का टीका चमक रहा , तेरी बिंदिया की घनघोर पीपल में भवानी झूम रहीं....
तेरे कानों में कुंडल चमक रहे , तेरी नथुनी की घनघोर पीपल में भवानी झूल रहीं.....
तेरे गले का हरवा चमक रहा , तेरी माला की घनघोर पीपल में भवानी झूल रहीं......
तेरे हाथों के कंगना चमक रहे, तेरी मेहंदी की घनघोर पीपल में भवानी झूम रहीं.....
तेरे पैरों में पायल चमक रही , तेरे बिछुए की घनघोर पीपल में भवानी झूल रहीं.....
तेरे अंगों का लहंगा चमक रहा , तेरी चुनरी की घनघोर पीपल में भवानी झूल रहीं......
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