सूरज को उगने ना दूंगा लक्ष्मण को मरने ना दूंगा यह वादा तेरे हनुमान का..
सूरज के पास जाकर पहले समझाऊंगा मान जाए ठीक नहीं तो मुख में दबाऊंगा छा जाए घोर अंधेरा फिर होगा नहीं सवेरा यह वादा...
काल का भी काल हूं मैं नाम से डरेगा बांध लूंगा मौत फिर कोई न मरेगा मेरे राम जी उदास न होना मेरे रहते कभी न रोना यह वादा...
ब्रह्मा जी के पास जाकर वही खुलवाऊंगा आयु होगी छोटी तो फिर लंबी करवाऊंगा ब्रह्मा की कलम चलेगी लक्ष्मण की उम्र बढ़ेगी यह वादा...
बूटी की तो बात क्या पहाड़ लेकर आऊंगा राम जी के खातिर मैं तो कुछ भी कर जाऊंगा भक्त हूं प्रभु मैं तेरा रखिए भरोसा मेरा यह वादा...
दे दो प्रभु आशीर्वाद बूटी लेने जाता हूं चुटकी बजाकर मैं तो बूटी लेकर आता हूं जो लखन के प्राण न लाऊं तो अंजनी पूत न कहाऊं यह वादा...
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