तत्काल उठ के तू ओम नाम गाए जा प्रभु गुण गाए जा तू हरि गुण गाए जा
विषय विकारों में मन को फंसाया हीरा अनमोल रत्न मन न बनाया प्रेम अनुराग तू अन्दर भी बनाये जा हरी गुण गाये जा
सुखों का भंडार प्रभू प्राणों से भी प्यारा है माता पिता भाई बंधु सब वो हमारा है आत्मा से मन को शुद्ध कराए जाए प्रभू गुण जाएगा हरी गुण गाए जा
वेद शास्त्र पढ़ के तू आत्मा को छुयेगा मन की मलीनता को ऐसे तू धोयेगा प्रभू की सेवा में तू जीवन बिताएगा प्रभु गुण गाए जा तू हरी गुण गाए जा
ओम नाम जपने से अपार सुख पाता है हरी को बिसार कर महा दुख पाता है मानव तू रात दिन ओम को रिझाये जा प्रभु गुण गाए जा हरि गुण गाए जा
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