जन्माष्टमी कीर्तन में नाचने वाला भजन🌹मन बंशी की धुन में खो गया बृंदावन की गलियों में मेरा मन🌹

 

 

मेरा मन बैरागी हो गया बृंदावन की गलियों में जो होना सो हो गया बृंदावन की गलियों में 

सावन की मस्त बहारें यहां रिमझिम करें फुआरें मन बंशी की धुन में खो गया बृंदावन की गलियों में मैं 

बृंदावन में आया मुझे श्याम नहीं मिल पाया मुझे ऐसा धोखा हो गया बृंदावन की गलियों में मैं 

बरसाने में आया राधा का ध्यान लगाया राधे संग दर्शन हो गया बृंदावन की गलियों में मैं 

बृंदावन में आया कान्हा का दर्शन पाया मेरा अपना आपा खो गया बृंदावन की गलियों में

 मेरा मन मतवाला हो गया बृंदावन की गलियों में 




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