जन्माष्टमी विशेष कृष्ण जन्म की पूरी कहानी सुनें🌹खुल ताले गये बंदीगृह के खुल जंगी किंवाड़े🌹

 

 

खुल ताले गये बंदी ग्रह के खुल जंगी किंवाड़े गये न देर लगी आ गई नींद संसारियों को सो पहरेदारे गए न देर लगी 

हाथ की छूटी हथकड़ियां खुली बेड़ियों की कड़ियां जगी देवकी के आंखों से बहते आंसू की झड़ियां घन घिर आए बिजली चमकी छुप चांद सितारे गए न देर लगी खुल गये... 

कह न सके कुछ दुखड़े को देखा चांद से मुखड़े को बासुदेव धर लिए सूप में ले चले जिगर के टुकड़े को सिंह शेर दहाड़ें मुश्किल से यमुना के किनारे गए न देर लगी खुल गये... 

देख के आता नटवर को यमुना जी उमड़ीं ऊपर को बढ़ते बढ़ते लगीं हैं छूने बासुदेव जी के सिर को यह दृश्य देख चिंता में डूबे जग पालन हारे गए न देर लगी खुल गये... 

चरण जो न छू पायेंगी यमुना जी बढ़ती आएंगी डूबे पिता मेरी लीला किस रोज काम यह आएगी यह सोच के लटका पांव दिया खुद देखें नजारे गए न देर लगी खुल गये... 

घटा चरण छू जमुना जल, जमुना के उस पार निकल नंद राय के द्वारे पहुंचे सोय रहे थे जन सकल यशोदा की अटारी देख खुली चढ़ विपदा के मारे गए न देर लगी 

लाल को अपने लिटा दिया गोद लली को उठा लिया वासुदेव ने फिर मथुरा को फौरन रास्ता ले लिया फिर बंदीगृह में आ पहुंचे जाग पहरेदार गये न देर लगी खुल गये... 

चंचल प्रभु माया तेरी पार किसी ने ना पाया करी बाल लीला फिर ये कंस को मार गिराया खर जरासिंधु शिशुपाल आज करनी से मारे गये न देर लगी 




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