राधा रानी तो ऐसी रूठी, झूला झूले न झूलन दे।बरसाने वाली ऐसी रूठी, झूला झूले न झूलन दे।
चंदन की पटरी विशाखा लाई, रेशम की डोरी ललिता लाई। मटक कर ऐसी बैठी, डोर डाले ना डालन दे
हंस कर बोली सखी विशाखा, विन मोहन झूला नहीं भाता। झटक कर ऐसी बैठी, राधे बोले ना बोलन द
इतने में आ गए बनवारी। क्यों रूठी हो राधा प्यारी। पैर पटक कर ऐसी बैठी, पट खोलें ना खोलन दे।
पड़ पइयां घनश्याम मनावे।मंद मंद राधे मुस्कावे। लिपट कर ऐसी रोई, चुप होवे ना होवन दे।
राधेश्याम की प्रीत पुरानी, सब जाने यह प्रेम कहानी। जो ध्यावे वो पावे सोई,मन भटके ना भटकने दे।
राधा रानी तो ऐसी रूठी, झूला झूले न झूलन दे।बरसाने वाली ऐसी रूठी, झूला झूले न झूलन दे।
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