भोले बसाई है काशी काशी बसाई त्रिशूल पे
धन्य धन्य भोलेनाथ आपने काशी गजब बसाई, गोदी में है गणपति लाला संग में गौरा माई भोले बसाई है काशी काशी बसाई त्रिशूल पे
श्री गंगा की धार शीष पे भाल चन्द्रमा सोहे , तीन नेत्र त्रिपुरारी भोले अंग बाघाम्बर सोहे भोले बसाई है काशी काशी बसाई त्रिशूल पे
गले में नाग जनेऊ सोहे हाथ में डमरू बाजे , भांग का प्याला आक धतूरा इनके मन को भावे भोले बसाई है काशी काशी बसाई त्रिशूल पे
विनय करो स्वीकार नाथ मोहे ज्ञान की भिक्षा दीजे , आये हम शरण तिहारी अपनी शरण में लीजे भोले बसाई है काशी काशी बसाई त्रिशूल पे
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