राम रस पीलो रे पिलावें मेरे गुरु ज्ञानी
आया था हरि भजन करन को भूल गया नादान बतावें मेरे गुरु ज्ञानी
मोह माया में फंसा रे बाबरे वो मकड़ी जैसो जाल बतावें मेरे गुरु ज्ञानी
जिस घर में हो हरि की पूजा, वहीं बसें भगवान बताबे मेरे गुरु ज्ञानी
जिस घर में हो गुरु की सेवा, वो घर बैकुंठ समान बतावें मेरे गुरु ज्ञानी
जिस घर में हो भागवत गीता वह घर तीर्थ धाम बतावें मेरे गुरु ज्ञानी
जिस घर में हो पतिव्रता नारी वह घर स्वर्ग समान बतावें मेरे गुरु ज्ञानी
जिस घर में हो तुलसी की पूजा वह घर गंगा मां समान बतावें मेरे गुरु ज्ञानी
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