सावन में नाचने वाला चटपटा भजन💃कैलाश नगरिया के ओ रहने वाले डमरू बजायें🌹

 

 

कैलाश नगरिया के ओ रहने वाले बाबा डमरू बजायें ओ भोलेनाथ 

भोले के मस्तक पे चंदा बिराजे शीष गंगा की धार ओ भोलेनाथ 

कानों में भोले के बिच्छू ततैया गले सर्पों का हार ओ भोलेनाथ 

हाथों में भोले के त्रिशूल बिराजे डमरू की तान ओ भोलेनाथ 

अंगो में भोले के भस्मी रमाये ओढ़े मृगा की छाल ओ भोलेनाथ 

भोले के संग में गौरा बिराजें गोदी गणपति लाल ओ भोलेनाथ 

भोले के पैरों में घुंघरू बिराजे ताता थाय ओ भोलेनाथ 




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