मैंने ढ़ूंढ़ लिये चारो धाम मिले नहीं राम यही तो दुख तो भारी है
ढ़ूंढ़ लिये मैंने अवधपुरी में , जहां राम लिये अवतार मिले नहीं राम यही तो दुख भारी है
ढ़ूंढ़ लिये मैंने मिथिला पुरी में , जहां राम लियो कन्यादान मिले नहीं राम यही तो दुख भारी है
ढ़ूंढ़ लिये मैंने सरयू किनारे , जहां राम करें स्नान मिले नहीं राम यही तो दुख भारी है
ढ़ूंढ़ लिये मैंने सीता रसोई , जहां राम करें जलपान मिले नहीं राम यही तो दुख भारी है
ढ़ूंढ़ लिये मैंने मन्दिर शिवालय , जहां राम करें पूजा पाठ मिले नहीं राम यही तो दुख भारी है
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