श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, देख लो मेरे मन के नागिनें में श्री राम जानकी...
मुझ को कीर्ति न वैभव न यश चाहिए, राम के नाम का मुझ को रस चाहिए , सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
राम रसिया हूँ मैं राम सुमिरन करूं , सिया राम का सदा ही मै चिंतन करू , सच्चा आंनंद है ऐसे जीने में श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
फाड़ सीना है सब को यह दिखला दिया, भक्ति में है मस्ती ये दिखला दिया , कोई मस्ती ना सागर मीने में श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
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