होली खेल रहे नंदलाल बृंदावन की कुंज गलिन में
मोहे भर पिचकारी मारी साड़ी की आब उतारी झूमर को कर दियो नाश बृंदावन की कुंज गलिन में
मेरे सिर पे धरी कमोरी मोसे बहुत करी बरजोरी मेरे मुख पे मलो गुलाल बृंदावन की कुंज गलिन में
संग सखा श्याम के आये रंग भर पिचकारी लाये कर रहे बुरो हाल बेहाल बृंदावन की कुंज गलिन में
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