रंग डारो न बीच बजार श्याम मैं तो मर जाऊंगी
आज ही पहनी मैंने नई चुनरिया वामे लग रहे गोटा किनरिया आई करके मैं सोलह श्रृंगार मैं कैसे बच पाऊंगी
मुख पे मेरे गुलाल मलो न बेदर्दी मेरे संग चलो न हार खोलो न घुंघटा हमार मैं कुछ न कर पाऊंगी
श्याम मेरा घुंघटा खोलो न चुप ठाड़े तुम कुछ बोलो न मिले नैनों से नैना हमार मैं जीते जी मर जाऊंगी
इकली रह गई गहबर वन में सखी सहेली मेरी कोई न संग में हाय डरता है जियरा हमार मैं कैसे घर जाऊंगी
अब के छोड़ देव रे कान्हा सास ननद का कहा न माना मान जाओ न सांवरे सरकार सखिन संग फिर आऊंगी
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