तुम्हारे मन्दिर में आकर तुम्हें अपना बना लेंगे लगाकर चरणों में प्रीति तुम्हारा दर्श पा लेंगे
गले में सर्पों की माला कान में विचछू के झाला जटा में गंगा की धारा उसी में हम नहा लेंगे
जनेऊ मूंज का राजे हाथ में डमरू है बाजे उसी डमरू की तानों में सम अपना गम भुला लेंगे
बगल में गौरा मैया हैं गजानन गोद में खेलें हम सबके बीच रहकर के ये जीवन धन्य बना लेंगे
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