नेहा क्यों लगाया रे अरे भोलया
मैं तो गंगा की धारा रे अरे भोलया क्यों जटा में बसाया रे अरे भोलया
मैं तो अम्बर का वासी रे अरे भोलया क्यों मस्तक पे बिठाया रे अरे भोलया
मैं तो जंगल का वासी रे अरे भोलया गले हरवा बनाया रे अरे भोलया
मैं तो वन वन का वासी रे अरे भोलया क्यों कमर में लटकाया रे अरे भोलया
मैं तो डम डम ढोलक रे अरे भोलया क्यों डमरू बनाया रे अरे भोलया
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