बूटी पी लो हरी नाम वाली घोल घोल के बूटी पी लो और
पिलाओ सबको पीबड़ी सिखाओ सबको सत्संग में बुलाओ हाथ जोड़ जोड़ के
बूटी पी गये हनुमान जिनके सीने में भगवान जिन्हें लंका जाय जलाई खिड़की तोड़ तोड़ के
बूटी पी गये तुलसीदास जिनको राम मिलन की आस सारी रामायण लिख डाली पन्ना जोड जोड़ के
बूटी पी गये धन्ना सेठ गुरु मिले झट-पट हो गये पत्थर में पलट हरि बोल बोल के
बूटी पी गई द्रोपदी बाई वो तो भरी सभा चिल्लाई आके हरि ने चीर बढ़ाया साड़ी जोड़ जोड़ के
बूटी पी गयी मीराबाई शादी गिरधर संग रचाई वो तो गिरधर के संग नाची घुंघटा खोल खोल के
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