पकड़ लो हाथ बनवारी नही तो हम डूब जायेंगे हमारा कुछ न बिगड़ेगा तुम्हारी लाज जायेगी
धरी है पाप की गठरी हमारे सिर पे बनवारी , गमों का बोझ है भारी नही तो हम डूब जायेंगे
कलाई छोड़ दे मोहन ये चूड़ियां टूट जायेंगी ,ये बचपन की मोहब्बत है हमारी छूट जायेगी
बजाई आपने बंशी हमारे मन को भायी है , अब दर्शन दे दो बनवारी नही तो हम डूब जायेंगे
पड़ी मझधार में नैया खिवैया कोई नही मेरा ,खिवैया आप बन जाओ तो नैया पार हो जाये
यही उपदेश गीता में दिया है श्याम सुन्दर ने ,जो अपनों के लिए रोते वो कैसे पार हो पायें
तुम्हारे ही भरोसे पे हम दुनिया छोड़ बैठे हैं ,जमाने की तरफ देखो इसे कैसे निभाओगे
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