शिव गौरा भजन : रोज रोज भंगिया तेरी न घोंटू मैं पीहर चली जाऊंगी न आऊंगी मैं

तुम तो भोलेनाथ हो भंगिया पी के भूल जाते हो रोज रोज भंगिया तेरी न घोंटू मैं पीहर चली जाऊंगी न आऊंगी मैं अरे रे तुम तो..
माथे पे चंदा जो तुम हो सजाये उनसे कहो भंगिया तुम्हे घोंटे पिलाये अरे रे तुम तो..
जटाओं में गंगा जो तुम हो सजाये उनसे कहो भंगिया तुम्हे घोंटे पिलाये अरे रे तुम तो..
नागों की माला जो तुम हो सजाये उनसे कहो भंगिया तुम्हे घोंटे पिलाये अरे रे तुम तो..
हाथों में डमरू जो तुम हो सजाये उनसे कहो भंगिया तुम्हे घोंटे पिलाये अरे रे तुम तो..
आंगन में नंदी जो तुम हो बैठाये उनसे कहो भंगिया तुम्हे घोंटे पिलाये अरे रे तुम तो..
चरणों में भक्तों को जो तुम बैठाये उनसे कहो भंगिया तुम्हे घोंटे पिलाये अरे रे तुम तो..



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