अरी बहना सावन महीना आयो बंसी वालो न आयो कैसे मैं झूला झूलूं बाग में.....
हरियाली ऋतु आ गई अंबर में घटा गिर आई , बहना प्यासो ये मन मतवालो आयो न बंसी वालो कैसे मैं झूला झूलूं बाग में अरी बहना सावन महीना आयो.....
कोयल मोर पपीहा बोले श्याम की याद दिलाए , बहना तन मन में कारो कारो आयो न बंसी वालो कैसे मैं झूला झूलूं बाग में अरी बहना सावन महीना आयो.....
प्रेम का रोग लगाके बहना पूंछे न ये बात , बहना कुब्जा के मन को भायो आयो न बंसी वालो कैसे मैं झूला झूलूं बाग में अरी बहना सावन महीना आयो.....
देखत बाट ये थक गए नैना उनको याद न आई , बहना धोखा ओ हमको दे गयो आयो न बंसी वालो कैसे मैं झूला झूलूं बाग में अरी बहना सावन महीना आयो.....
प्रेम विरह की आग वेदना अब तो सही न जाए , बहना भक्तों के मन को भायो आयो न बंसी वालो कैसे मैं झूला झूलूं बाग में अरी बहना सावन महीना आयो......
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