विदुर घर आए हरि भूख बड़ी लागी......
दुर्योधन के भोजन त्यागे , बिना भाव नहीं आए हरि भूख बड़ी लागी......
याद आई काकी विदुरानी , नंगे पांव दौड़े आए हरि भूख बड़ी लागी....
घर पर विदुर ना थे विदुरानी , आवाज लगाए हरि भूख बड़ी लागी....
बंद द्वार हरि ने खुलवाया , दौड़ी आई विदुरानी भूख बड़ी लागी.....
तन पर कोई वस्त्र नहीं है प्रेम भाव से भरी पड़ी है , पीतांबर लपटाए हरि भूख बड़ी लागी......
अपने हाथों से भोजन कराया , हुए प्रेम में दीवाने हरि भूख बड़ी लागी....
गिरी गिरी केले की दूर फेंक दई , मुख छिलके खिलाए हरि भूख बड़ी लागी.....
मेवा मिष्ठान में स्वाद नहीं है , स्वाद छिलकों में पाए हरि भूख बड़ी लागी विदुर घर आए हरि भूख बड़ी लागी.....
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