उमरिया धोखा दे गई रे हरि भजन मैंने कल पे छोड़ा सांस निकल गई रे उमरिया धोखा दे गई रे.....
बालपन हंस खेल गंवाया , भोलेपन में निकल गई रे उमरिया धोखा दे गई रे....
आई जवानी नींद नहीं छूटे , सपने में निकल गई रे उमरिया धोखा दे गई रे....
न जानी कब आयो बुढ़ापा , अब सांस अटक गई रे उमरिया धोखा दे गई रे....
घर में बैठी बिटिया कुंवारी , कौन करे कन्यादान तैयारी ,देखो कैसी रो रही रे उमरिया धोखा दे गई रे....
सतगुरु हमको यही समझाते , राम नाम ही पार लगाते , कब सांस निकल गई रे उमरिया धोखा दे गई रे
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