कैसी आवे बहार सत्संग में बहना तुम चलो साथ सत्संग में....
पहली सखी से मैं उठ बोली बहना तुम चलो साथ सत्संग में , या सत्संग में बिल्कुल न जाऊं मेरी लड़ रही सास सत्संग में कैसी आवे बहार सत्संग में.....
दूजी सहेली से मैं उठ बोली बहना तुम चलो साथ सत्संग में , या सत्संग में बिल्कुल न जाऊं मेरे लड़ें भरतार सत्संग में कैसी आवे बहार सत्संग में.....
तीजी सहेली से मैं उठ बोली बहना तुम चलो साथ सत्संग में , या सत्संग में बिल्कुल न जाऊं मेरे रोय रहे लाल सत्संग में कैसी आवे बहार सत्संग में....
चौथी सहेली से मैं उठ बोली बहना तुम चलो साथ सत्संग में , या सत्संग में बिल्कुल न जाऊं मेरे आए मेहमान सत्संग में कैसी आवे बाहर सत्संग में....
पांचवीं सहेली से मैं उठ बोली बहना तुम चलो साथ सत्संग में , या सत्संग में बिल्कुल न जाऊं मुझे आवे बुखार सत्संग में कैसी आवे बहार सत्संग में....
जब सत्संग सुन घर को आई पांचो खड़ी बतलाएं गलियन में , थोड़ा प्रसाद हमें भी दे दो , यह प्रसाद तुम्हें न मिलेगा तेरी लड़ रही सास सत्संग में ,
तेरा रोवे नंदलाल सत्संग में तेरे लड़ें भरतार सत्संग में , तेरे आये मेहमान सत्संग में , तुम्हें आवे बुखार सत्संग में , यह प्रसाद उसी को मिलेगा जो आवे मेरे साथ सत्संग में कैसी आए बहार सत्संग में....
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