भक्तो ने पुकारा है एक बार चली आओ मेरे द्वार चली आओ जगदम्बे चली आओ माँ अम्बे चली आओ जगदम्बे चली आओ निर्धन के घर भी माँ एक बार चली आओ.....
ममता की छांव तले कब मुझको शरण दोगी, रो रो के मनाऊंगी कब तक यूं रूठोगी, अपने बच्चो को माँ इतना भी ना तरसाओ, माँ अम्बे चली आ.....
हर ईंट मेरे घर की माँ तुझको पुकारेगी, देहलीज़ तेरे चरणों की मां राह निहारेगी, मेरे घर का भी मैया तुम भाग्य जगा जाओ एक बार चली आओ...
मैंने ये सुना है माँ ममता की मूरत है, आज तेरी ममता की माँ मुझको जरूरत है, मैं तड़प रही पल पल इतना भी ना तड़पाओ एक बार चली आओ.....
तेरे ही सहारे हूँ मैं और कहाँ जाऊ, दर्शन के प्यासे दिल को मैं कैसे समझाऊं, मुझ पे मेहरावाली माँ मेहर तो बरसाओ एक बार चली आओ......
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