जबसे बंसी बजी श्याम की मोसे घर में रहो ना जाए मर गई मिट गई बावरी हो गई मोसे धीर धरो ना जाए जबसे बंसी बजी श्याम की
सास ससुर मोहे आने ना देवें ननदी ऊपर से चिल्लाए...
घर के सईयां भोलेनाथ हैं उनसे कछु कहो ना जाए....
चार पहर मैंने रोए रोए काटे चौथे पहर उठी थर्राए....
सास ससुर मोहे देख ना लेवें में जियरा धक धक होए होए जाए....
हरवा पहन लियो कमर में करधनी गले लयी लटकाय...
नथुनी पहन लयी उंगली में आंखों में लाली लयी लगाए...
पहन ओढ़ जब निकलन लागी पायल बैरन बज गई हाय...
पायल बांध लयी झोला में उल्टो सीधो लियो लटकाय...
रात में पहुंची जमुना तट पर चूड़ी बैरन हो गई हाय...
ग्वाल बाल सब करें ठिठोली मोहन ताली रहे बजाए....
मन की बात मन ही में रह गई दिल की बात कही ना जाए...
ऐसा तीर चला मेरे दिल पे जा की मार सही ना जाए...
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