अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना तुम्हारी लाड़ली सीता हुई बेहाल कह देना
मैं आई हूं अयोध्या से किया श्रंगार न मैंने , बांधा है फूल का गजरा खुले हैं केश कह देना
डराता है मुझे पापी दुष्ट तलवार दिखाकर के , उसी तलवार के टुकड़े नाथ आकर के कर देना
लखन भैया से कह देना जो अनुचित शब्द कहे मैंने , उसी का भोग भोगा है ये उनसे नाथ कह देना
मेरा चूड़ामणि ले जाना प्रभू चरणों में रख देना , करूं कर जोड़ कर विनती मेरा प्रणाम कह देना
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