मेरे बांके सांवरिया नंदलाल हमारे घर कब आओगे
मेरी रो रो के अंखियां लाल हमारे घर कब आओगे
अजब ही खेल रचो बचपन में देवकी से जन्मे गये बृंदावन में , मां यशोदा के बन गये लाल हमारे घर कब आओगे
दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर प्रेम से खाये विदुरानी को कर दिया निहाल हमारे घर कब आओगे
मित्र सुदामा को गले लगाये एक मुट्ठी चावल प्रेम से खाये सुदामा को किया मालामाल हमारे घर कब आओगे
रूक्मिणी के संग में ब्याह रचाया राधा के संग प्रीत लगाई हम भक्तों का कर दो उद्धार हमारे घर कब आओगे
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