सखी दोष नहीं मनमोहन का वह बांस बुरे जिनके बंशी
कभी सुबह बजे कभी शाम बजे कभी आधी रात बजे बंशी , वन वन के बांस कटा दीजो न उपजे बांस न बजे बंशी
बृंदावन रहना छोड़ दिया गोकुल भी जाना छोड़ दिया नहीं पीछा छोड़ा बंशी ने बरसाने आय बजे बंशी
मैं उनकी छवि पे वारी हूं जिनके ओंठो पे बजे बंशी सखी दोष नहीं राधा प्यारी का उनके हृदय में बंशी
बंशी सब सुरों को साधे है पर एक ही धुन पे बाजे सखी हाल मोहन का सब कुछ ही राधे राधे है
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