श्याम मेरा मैं श्याम की होई रे अब क्या करेगा कोई रे
श्याम तेरे मिलने के कारण सारी रात न सोई रे अब क्या करेगा कोई रे
माधव माधव रटते रटते मैं तो खुद ही माधव होई रे अब क्या करेगा कोई रे
मथुरा ढूंढा गोकुल ढूंढा वो तो कहीं न मिला निर्मोही रे अब क्या करेगा कोई रे
सखियां कहें ये तो भई रे बाबरी वो तो श्याम के रंग में खोई रे अब क्या करेगा कोई रे
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