रो रो कहती सिया मेरे राम पिया जल्दी आओ दुष्ट रावण से हमको बचाओ
भेष धरके भिखारी का आया आके द्वारे पे अलख जगाया बोला मैं हूं अली भिक्षा ला मां मेरी जोगी आयो भूखे जोगी को भोजन कराओ
सीता देने को फल जब उठाये कपटी रावण ने वचन सुनाये लक्ष्मण रेखा पड़ी तुम हो अंदर खड़ी बाहर आओ बंधी भिक्षा न लूं मात जाओ
सीता रेखा निकल बाहर आईं दुष्ट रावण ने पकड़ी कलाई बोला फेंको ये फल मैंने कीन्हा है छल राम भुलाओ अब तो जोगी को अपना बनाओ
पेड़ पत्तों गवाही ये देना राम आयें तो उनसे ये कहना कहना चोरी भई सीत लंका गई ढूंढ लाओ दुष्ट रावण से हमको छुड़ाओ
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