आप आये न गणपति सुबह हो गई मेरी पूजा की थाली सजी रह गई
भोग रखा रहा फूल मुरझा गए आरती भी सजी की सजी रह गई
हमसे रूठे हो क्यों बात करते नहीं मेरा अपराध क्या है बताते नहीं रोते रोते मेरी सांस रुकने लगी मेरी पूजा की थाली सजी रह गई
ज्ञान भी हो गया ध्यान भी हो गया फिर भी दर्शन की आशा लगी रह गई इतना होते हुए मैं समझ न सकी कौन सी भावना में कमी रह गई
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