रह रह जिया घबड़ाए सखी री मनमोहन न आये
भूल गए मथुरा में जाके कुबजा के संग प्रीत लगाके कौन उन्हें समझाये सखी री मनमोहन न आये
ऊधो ज्ञान सिखावन आये मनमोहन की पाती लाये लिख लिख जोग पठाये सखी री मनमोहन न आये
कौन सी ऐसी भूल हमारी काहे भुलाय दियो बांके बिहारी निशिदन याद सताये सखी री मनमोहन न आये
तुम स्वामी घट घट के वासी हम सब हैं दर्शन अभिलाषी नैनन नीर बहाए सखी री मनमोहन न आये
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