श्यामा आप बसो मेरे मन में कोई देखे न तुझको मुझमें
जैसे दूध में छाया रहती है पर नजर किसी को न आती है
वैसे आप बसो मेरे मन में कोई देखे न तुझको मुझमें
जैसे दूध में माखन होता है पर नजर किसी को न आता है वैसे आप बसो मेरे मन में कोई देखे न तुझको मुझमें
जैसे फूलों में खुशबू होती है पर नजर किसी को न आती है वैसे आप बसो मेरे मन में कोई देखे न तुझको मुझमें
जैसे मां में ममता होती है पर नजर किसी को न आती है वैसे आप बसो मेरे मन में कोई देखे न तुझको मुझमें
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