उमर सारी बीत गयी माला न फेरी
१- भोर हुई चिड़िया चहचानी, मै घर घर मे डोल आई माला न फेरी..
२- नहाय धोय आसन पर बैठी , निंदिया बैरी आय गई माला न फेरी..
३- हुई दोपहर जब भोजन पकाया, मै गप गप खाय गई माला न फेरी...
४- शाम हुई जब निकले हैं तारे, मैं डाल खटोला सोय गई माला न फेरी..
५- धर्मराज जब लेखा खोले, मैं थर थर कांप गई माला न फेरी..
६- यम के दूत जब लेने को आए मै सच सच बोल गयी माला न फेरी..
No comments:
Post a Comment