राम चले वन को वचन को निभाने रोये कौशिलया माता कैकेई न माने
1- रोके बोले दशरथ राम मेरा प्यारा कहां गया राम मेरी आंखों का तारा कोई चला जाय मेरे राम को मनाने रोये कौशिलया माता कैकेई न माने
२- एक दिन था वो जब स्वयंवर को जीता कहां गए राम और कहां गए सीता आई सिया जानकी थी माला पहनाने रोये कौशिलया माता कैकेई न माने
३- कैकेई ये बोली भरत वेटा आजा अवधपुरी का बनाऊं तुम्हे राजा आई हूं लाल तुम्हें राजा बनाने रोये कौशिलया माता कैकेई न माने
सुनके भरत बोले राम मेरा भ्राता आज से माता तुमसे टूट गया नाता मैं तो अभी जाऊंगा राम को मनाने रोये कौशिलया माता कैकेई न माने
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