प्रभू राम मेरे घर आयेंगे मेरी कुटिया के भाग्य खुल जायेंगे
मैं खाट पे उन्हें बिठाऊंगी मैं अपना हाल सुनाऊंगी वो सुनते ही रह जायेंगे मेरी कुटिया के भाग्य खुल जायेंगे
मैं पेड़ पे झूला डालूंगी अपने हाथों से उन्हें झुलाऊंगी वो झूल के खुश हो जायेंगे मेरी कुटिया के भाग्य खुल जायेंगे कपिल गाय का दूध मैं लाऊंगी उसमें खूब मलाई डालूंगी प्रभू पी के खुश हो जायेंगे मेरी कुटिया के भाग्य खुल जायेंगे
मैं बेर तोड़कर लाऊंगी चुन चुन के उन्हें खिलाऊंगी प्रभू खा के खुश हो जायेंगे मेरी कुटिया के भाग्य खुल जायेंगे
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