चली शंकर की बरतिया हिमाचल नगरी
बूढ़े बैल पे शिव जी बैठे गले मुंड की माला , सारे अंग भभूति लगाये गले नाग है काला , काली ओढ़े हैं कमरिया हिमाचल नगरी चली शंकर की बरतिया हिमाचल नगरी
पुरवासी सब देखन लागे कैसे हैं बाराती , भूत प्रेत और देव श्रषि मुनि संग में हैं बाराती , कैसी दूल्हा की सुरतिया हिमाचल नगरी चली शंकर की बरतिया हिमाचल नगरी
मैनावती आरती लेकर परछन करने आईं , शिवशंकर का रूप देखकर मन ही मन घबड़ाईं , गिर गई हाथों से आरतिया हिमाचल नगरी चली शंकर की बरतिया हिमाचल नगरी
शिव के जैसा और न कोई नारद ने समझाया , तब गौरा और शंकर का खुश होके ब्याह रचाया , पड़ गईं पड़ गईं रे भांवरिया हिमाचल नगरी चली शंकर की बरतिया हिमाचल नगरी
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