कृष्ण भजन : ये कैसी लगन तुमने हरी हमको लगा दी है

 ये कैसी लग्न तुमने हरि हमको लगा दी है
घर बार तो चीज है क्या सारी दुनिया भुला दी है
१- हरि नाम के प्याले में मस्ती ही मस्ती है , कुछ मैंने पी ली है कुछ तुमने पिला दी है ये ..
२- बड़ी दूर चलके श्याम बृंदावन आई हूं , तेरे प्रेम की यमुना में मैंने डुबकी लगाई है ये..
३- अबकी होली में ललिता सखी पागल हो जाती है, मैंने बृंदावन गलियों में मैंने चुनरी भिंगो ली है ये..
४- सब कहते हैं मुझको ये घर में नहीं रहती ,सारी दुनिया की बातों को मैंने यूं ही उड़ा दी है ये..




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